श्री माँ काली दरबार

श्री माँ काली कि बाल स्वरूप मनमोहक सुन्दर प्रतिमा, जो अनायास ही सबका ध्यान अपनीओर आकर्षित कर लेती है , लगभग १५ वर्षों पुर्व , उनकी प्रेरणा से एवं गुरु के आशीर्वाद से तिफरा यदुनंदन नगर बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ ) के श्मशानघाट में , ५ फिट चोरस चबूतरे पर स्थापित कि गई है | प्रथम दिवस से ही दो उल्लू उनके समीप पुरे समय बैठते थे | मंदिर के लघु रूप धारण करने के बावजूद वे लगभग ६ माह मौजूद रहे | प्रथम यज्ञ के उपरांत उनका हमेशा के लिए प्रस्थान हो गया | प्रतिमा का मुख दक्षिण दिशा में होने के अलावा लगभग ४० फिट के अंतराल से ठीक सामने शव दाह संस्कार स्थल है | जहां आज भी शव दाह संस्कार कार्य किया जाता है | तीन यज्ञ कुंड बनाये गए है जिसमे समय समय पर अमावस्या कि रात्रि यज्ञ किये जाते है | मंदिर के ठीक सामने दो तालाब है और वहाँ के कमल पुष्प भक्तजन , माँ को अर्पित करते है | माँ काली श्मसान वासिनी सभी कि मनोकामना पूर्ण करती है एवं स्वयं सुंदरता कि एक आकर्षक प्रतिमूर्ति है | वर्ष में दो बार यहाँ नवरात्री पूजा , तांत्रिक अनुष्ठान के साथ कि जाती है जिसमे अनेक तेल – घी कि ज्योति कलश प्रज्वलित कि जाती है | मंदिर के प्रांरभिक अवस्था में नवरात्रि कि रात्रि अचानक अनवरत वर्षा हुई थी , इसके बावजूद मंदिर के ज्योति कलश सतत प्रज्वलित रहे | जब वहाँ जाकर देखा गया तो सभी तरफ पानी ही पानी था लेकिन मंदिर कि परिधि में गोल रूप से जमीन सुखी थी मनो यहाँ वर्षा हुई ही ना हो | आज मंदिर अपने विशालतम रूप में तांत्रिक पीठ है | जय माँ काली |

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